पूर्णिमा वाले चन्द्रमा की तरफ से नजरें नहीं हटते। पूर्णिमा वाले चन्द्रमा की तरफ से नजरें नहीं हटते।
तों बिन चक्की के घूरे आटा कैसे निकल सकता हैं.... तों बिन चक्की के घूरे आटा कैसे निकल सकता हैं....
वो सतरंगी पल ना दिखा कहीं, जो था बचपन के बचपना की ओर। वो सतरंगी पल ना दिखा कहीं, जो था बचपन के बचपना की ओर।
टूटते सपने हौसलों को नई उड़ान देते हैं। जिंदगी जीने का हुनर सिखा देते हैं। टूटते सपने हौसलों को नई उड़ान देते हैं। जिंदगी जीने का हुनर सिखा देते हैं।
मुझे जो भी मिला मुझे बदलना चाहा। अपने रंग में मुझे ढालना चाहा। मुझे जो भी मिला मुझे बदलना चाहा। अपने रंग में मुझे ढालना चाहा।
एक गांव में एक ही रात ठहरने का नियम लेकर विचरे पृथ्वी पर। एक गांव में एक ही रात ठहरने का नियम लेकर विचरे पृथ्वी पर।